'शापित दुनिया..!' (लघु विज्ञान कथा)
'शापित दुनिया..!' (लघु विज्ञान कथा)
सामने हरी भरी पहाडि़यों की कतारें... और उनके सामने घने वृक्षों का झुरमुट.... चिड़ियों के झुंड चहकते हुए जा रहे हैं.... एक झुंड चला जाता है तो कोई दूसरा झुंड आता है, और उनके चहकने की आवाज मन को गुदगुदी करती है और वह भी पहले झुंड से ज्यादा मीठी लगती है....
इनके चहकने से साबित होता है कि बाहर का वातावरण कितना सुगन्धित और प्रफुल्लित होगा...
मुझे ऐसा लगता है कि, मुझे तुरंत खिड़की खोलनी चाहिए और बाहरी वातावरण का आनंद लेना चाहिए...
लेकिन नहीं, अगर मैंने ऐसा किया, तो इसके विपरीत, मेरा शरीर भीतर से जलने लग जाएगा, मेरे सामने ये तो बस एक खिड़की है, जिसे अगर मैं खोलूंगा तो मुझे सच का एहसास होगा, यह सुहाना \'दृश्य\' चला जाएगा और उसकी जग़ह धूल, धूसर वातावरण में विशाल, राक्षसी इमारतों का जंगल आंखों के सामने दिखाई देगा...!
मनुष्यों ने २०५५ तक पृथ्वी को नरक बना दिया और इस नरक में रहने के बावजूद स्वर्ग में होने का ढोंग करने के लिए इन \'भ्रामक दृश्यों\' को दिखाने के लिए ऐसी खिड़कियां बनाईं गयी।
\'..बाहर का वातावरण पसंद नहीं..? तो आज ही अपने घरों में ए.बी.सी. कंपनी का \'वर्चुअल विंडोज\' लगाये और आपको जो दृश्य देखना है वो खिड़कियों पर देखें..\' ऐसे विज्ञापन, वादे किए गए और धीरे-धीरे सभी बिना किसी शर्म के खुद को धोखा देने लगे। अगर आप मुझसे पूछें तो ये खिड़कियाँ और कुछ नहीं बल्कि मेरे जख्मों पर सिर्फ नमक छिड़क रही हैं। बचपन में माँ-पिता, दादा-दादी के साथ जो दृश्य मैंने देखे थे, जिनसे मुझे यकीन हो गया था कि दुनिया बहुत खूबसूरत है, और आज की इस भयानक दुनिया में इसे इतने कृत्रिम तरीके से देखने पर ऐसा लगता है जैसे दिल पर किसी ने खंजर फेर दिया हो। एक और कारण है कि यह समय जीने लायक क्यों नहीं है और कभी-कभी ऐसा लगता है कि -
"भु! भु !! भु!", मेरा विचार चक्र रुक गया, मेरी नज़र मेरे पैरों पर चली गई।
मेरे पैरों के इर्दगिर्द रॉनी घूम रहा था, उसकी पीठ पर ९:०० का समय चमक रहा था... अरे हाँ..! उसके मेरे पैरों के इर्दगिर्द घूमने का, भौंकने, खेलने का समय था..! उसके धातु के चेहरे पर मासूम भाव थे, उसकी नीली आँखें (एल.ई.डी.) चमक रही थीं, वह कुत्ते की तरह आवाज कर रहा था, अपनी जीभ अपने मुंह से बाहर निकाल रहा था और सांस ले रहा था (जैसे कुत्ते लेते थें)। अब रॉनी भी इस कृत्रिम दुनिया का एक सदस्य है...
उदास होकर मैं सोफे पर बैठ गया, उसे पास बुलाया, वह आया और मैं उसके सिर पर हाथ फेरने लगा। जहां नरम, गर्म फर की जरूरत थी, वहां ठंड, कठोर धातु की भावना थी; जहाँ करुणा, प्रेम उत्पन्न होना चाहिए, वही उस धातु की तरह ठंड और खाली भावना निर्मित की जा रही थी। फिर मुझे याद आया... मैंने कुछ देर सोचा और रॉनी की पूँछ पकड़कर ज़ोर से मरोड़ दी..! अगर यह एक असली कुत्ता होता, तो अबतक वह बहुत दर्द से बिलबिला गया होता, लेकिन रॉनी? वह तो उसी तरह मुझे प्यार से, मासूम भावना से देख रहा था..! मैं मूर्ख नहीं था यह समझने के लिए कि उसकी पूंछ, उसका शरीर असली नहीं है, मैं अपनी क्रिया पर प्रतिक्रिया देखना भी नहीं चाहता था, लेकिन मन को एक निश्चित (निर्दयी नहीं!) भूख थी, यह सिर्फ इसे बुझाने का प्रयास था। मेरी पकड़ उसकी पूंछ पर और सख्त होने वाली थी लेकिन इतने में -
"रविss..!" पीछे से जोर से चीखने की आवाज सुनाई दी।
मोनिका पैर पटकते हुए मेरे पास आयी, तब तक मैंने रॉनी की पूंछ छोड़ दी थी।
"रॉनी, गो चार्ज युवर सेल्फ!", नजदीक आकर मोनिका ने रॉनी को कमांड दिया। रॉनी कमरे में इस तरह से चला गया जो एक मशीन के अनुकूल हो।
"रवि, क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना? तुम रॉनी के साथ इतना भयानक काम क्यों कर रहे थे?" मोनिका ने सवाल पूछना शुरू कर दिया। लेकिन मैं उसकी तरफ नहीं देख रहा था, मैं तो उस \'खिड़की\' को देख रहा था। अब उसपर समंदर किनारे का नज़ारा था, समुद्र की लहरों की आवाज आ रही थी लेकिन मेरे मन पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
मैंने मोनिका से कहा, "मोनिका, आओ बैठो।" वह आकर मेरे बगल में बैठ गयी। फिर मैंने उससे पूछा, "क्या तुम जानना चाहती हो कि मैंने अभी रॉनी के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया?"
"हाँ, मैं जानना चाहती हूँ..!," मोनिका ने कहा।
"तो सुनो," मैंने आगे कहना जारी रखा, "जब मैं बच्चा था, मैं लगभग १० - ११ साल का था। हम अभी-अभी अपने नए घर में शिफ्ट हुए थे। हमारे घर के आसपास पहले कुछ साल बहुत कम आबादी वाले थे, और इतनी कम आबादी वाले इलाके में अकेलेपन के डर ने हमें ऐसा महसूस कराया कि हमारे घर में एक पालतू कुत्ता होना चाहिए। उस इलाके के एक आवारा कुत्ती ने हमारे घर के बरामदे पर कुछ पिल्लों को जन्म दिया। हमने उनमें से एक को घर में रखा और उसका नाम \'टॉमी\' रखा। टॉमी को हमने प्यार से पाल-पोस कर बढ़ा किया। अन्य लोगों ने अपने पालतू जानवर को पालतू जानवर के रूप में पाला होगा लेकिन हमने टॉमी को अपने जीवन के एक हिस्से के रूप में ही पाला और इसलिए टॉमी मनुष्यों से कभी नहीं डरता था, क्योंकि वह खुद को उन लोगों में से एक मानता था। उसके व्यवहार में भी यही लक्षण नजर आए। उदाहरण के लिए, हम अपने साथियों या अपने परिवार के छोटे सदस्यों पर गुस्सा करते हैं और चिल्लाते हैं, लेकिन हम कभी भी अपने माता-पिता से अशिष्टता से बात नहीं करते हैं, इसी तरह टॉमी इतना हममें घुल-मिल गया कि उसे लगता था कि वह मेरे भाई और मेरी उम्र का ही है और कभी-कभी वह हम पर गुर्राता था, भोंकता था, लेकिन उसने कभी भी मेरी मां या पिता पर कभी गुर्राया या फिर भोंका नहीं क्योंकि उसकी नजर में मेरे मां और पिता के लिए सम्मान था।"
"अब आज मैंने रॉनी के साथ क्या और क्यों किया उसका कारण बताता हूँ, एक बार मेरा पैर गलती से टॉमी की पूंछ पर गिर गया और टॉमी ने मुझे काट लिया और उसी घटना के कुछ दिन बाद जब मैं ५ दिन के बाद गाँव से लौट आया था, तो यह देखकर कि मैं वापस आ गया हूँ, टॉमी मुझे बहुत खुशी से चाटने लगा..! आज जब मैं रॉनी और टॉमी की तुलना करता हूं, तो मैं दोनों में अंतर बता सकता हूँ, एक प्राणी है जो मुझे गलती करने पर सजा भी देता है और जब मैं ना रहूं तब उसका मन उदास होता है, और दूसरी तरफ एक ऐसा गुलाम जिसे इंसानों ने उस प्राणी के स्थान पर सिर्फ मनोरंजन के लिए स्वीकार कर लिया है; जिसे अपने बिना बेचैन होना तू दूर की बात है, उसे अपना बचाव करने की भी अनुमति नहीं है। आज की तन और मन से विकलांग दुनिया में, मैं टॉमी के साथ बितायी ज़िंदगी को ५ मिनट के लिए वापस पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ, क्योंकि ठंड, बेजान गुलाम से ज्यादा मेरे ऊपर प्रेम करनेवाला, मेरे साथ खेलनेवाला और कभी कभी मेरे ऊपर गुस्सा होनेवाला मुझे ज्यादा मौल्यवान लगता है। मोनिका, मैंने अपना दुख तुमसे हजार बार कहा है, लेकिन तुम - "
मैंने मोनिका की ओर देखा। उसकी बेजान आँखों में रोशनी धीरे-धीरे टिमटिमा रही थी और उसके माथे पर अक्षर चमक रहे थे,
\'चार्जिंग... चार्जिंग... चार्जिंग...\'
मैं हताश हुआ।
"-
पर तुम मेरे दुख को सुनने के सिवा क्या कर सकती हो? अंत में तुम भी उसी के लिए बनी हो।"
मैंने पानी से भर आयी निगाहों से \'खिड़की\' की ओर देखा।
अब दृश्य बदल चुका था।
एक नन्हा बालक खेलता हुआ नजर आ रहा था।
.......और उसके साथ एक प्यारा सा पिल्ला....
समाप्त
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नॉन स्टॉप 2022
सीताराम साहू 'निर्मल'
04-Feb-2023 11:06 PM
शानदार
Reply
डॉ. रामबली मिश्र
04-Feb-2023 07:54 PM
Nice 👍🏼
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Radhika
04-Feb-2023 07:36 PM
Nice
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